tag:blogger.com,1999:blog-48187147032323609282024-02-20T10:30:07.673-08:00उत्तराखंडApna-paharhttp://www.blogger.com/profile/07414805074230571725noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-4818714703232360928.post-89991075578175701902009-02-21T06:56:00.000-08:002009-02-21T07:18:28.165-08:00उत्तराखंड : झीलें<p>पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ जल है, जिससे पृथ्वी का 70 प्रतिशत् भाग ढका है। कुल जल की मात्रा का 97.3 प्रतिशत (135 करोड़ घन किमी0) सागर और महासागर के रूप में तथा 2.7 प्रतिशत (2.8 करोड़ घन किमी0) बर्फ से ढका है। इसके अतिरिक्त 7.7 घन किमी0 जल भूमिगत है।</p><p>पर्वतीय क्षेत्रों में भूगर्भ स्थिति के अनुसार, पर्वतों से भू-जल स्रोत बहते हैं। ऐसे स्रोत मौसमी या लगातार बहने वाले होते हैं। ऐसे ही स्रोतों में से एक झील है।</p><p>झील : एक जलाशय है जो भूमि से घिरा तथा विशालाकार होता है ।</p><p>नैनीताल : यह पृथ्वी की सतह के खिसकने से बने दोष के कारण बनी झील है। इसके किनारे बने नैना देवी के मंदिर के कारण इस झील का नाम नैनीताल पड़ा।</p><p>सूखाताल : यह नैनीताल के पास बनी झील है, जिसमें काफी मात्रा में अवसाद भरा है, तथा इसमें केवल वर्षा के मौसम में ही पानी एकत्र होता है।</p><p>भीमताल : कुमाऊँ क्षेत्र की यह दूसरी बड़ी झील है।</p><p><span class="">खुर्पाताल : </span>यह नैनीताल शहर के पास चट्टान खिसकने से बने गड्ढे में बनी झील है।</p><p>नौकुचियाताल : यह कुमाऊँ क्षेत्र में एक छोटी झील है।</p><p>सड़ियाताल : यह भी नैनीताल क्षेत्र में एक छोटी झील है।</p><p>रुपकुंड : यह गढ़वाल के चमोली जिले के उत्तर-पूर्वी भाग में बनी एक प्रदुषण रहित बड़ी झील है।</p><p>बदानी ताल झील : यह झील पृथ्वी की सतह में श्रेणी-बद्ध दोष के कारण बनी है। यह गढ़वाल में मयाली के पास ऊपरी लक्ष्तर गाड नदी की घाटी के ढालों के बीच स्थित है।</p><p>देवरी ताल : यह झील गढ़वाल के चमोली जिले में चोप्ता के पास हिमखण्ड के खिसकने से बनी है।</p><p>डोडीताल : यह झील गढ़वाल में उत्तरकाशी के पास स्थित है।</p><p>गोहनाताल : यह गढ़वाल के चमोली जिले में अलकनन्दा नदी की एक सहायक नदी में 1970 में आयी बड़ी बाढ़ के कारण भूस्खंलन से बनी है।</p><p>हेमकुण्ड लोकपाल : यह गढ़वाल के चमोली जिले में पानी के स्रोत से बनी शुद्ध पानी की झील है।</p><p>कागभुसण्ड ताल : यह गढ़वाल के उत्तर-पूर्वी चमोली जिले में कंकुल खाल चोटी के ढाल से निकली प्रदुषण-रहित झील है।</p><p>नन्दीकुण्ड : यह गढ़वाल की चौखम्भा चोटी के दक्षिणी ढाल पर बनी झील है जो जाड़ों में जम जाती है।</p><p>शास्त्रुताल : यह गढ़वाल में घनसाली क्षेत्र के ऊपर खतलिंग हिमखण्ड के पास एक झीलों का समूह है।</p><p>वसूकी ताल : यह गढ़वाल में मंदाकिनी नदी के स्रोत के पास चोर बामक हिमखण्ड के पूर्व में स्थित एक छोटी झील है।</p>Apna-paharhttp://www.blogger.com/profile/07414805074230571725noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-4818714703232360928.post-72092141358876075772009-02-21T06:41:00.000-08:002009-02-21T06:44:15.579-08:00उत्तराखंड : कुछ अहम आंकड़ेक्षेत्रफल-५३,८४३ वर्ग किलोमीटर<br />जनसंख्या- कुल ८४,८०,<span class="">००० (२००१ में)</span><br />पुरुष - ४३,१७,०००, स्त्री - ४१,६३,०००<br />अनुसूचित जनजाति - २,१९,०००<br />अनुसूचित जाति - १२,३२,०००<br />ज़िलों की संख्या - १३<br />गाँवों की संख्या-१६,६०६<br />विद्युतिकृत गाँव १२,५१९<br />यातायात - सड़कें - १,७७२ किलोमीटर<br />कृषियोग्य भूमि- ७,८४,००० हेक्टेयर<br />जंगल- २३,९८९ वर्गकिलोमीटर<br />औसत वर्षा- १०७९ मिलीमीटर<br />प्रतिव्यक्ति आय- १२,००० रुपए<br />विधानसभा सीटें- ७०<br />लोकसभा की सीटें- ५<br />राज्यसभा की सीटें - ३Apna-paharhttp://www.blogger.com/profile/07414805074230571725noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4818714703232360928.post-73290470653835772312009-02-21T06:33:00.000-08:002009-02-21T06:36:56.850-08:00नए राज्य का गठनएक नये राज्य के रुप में उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के फलस्वरुप (THE UP REORGANISATION ACT, 2000) उत्तरांचल की स्थापना 9 नवम्बर 2000 को हुई। सन 1969 तक देहरादून को छोडकर उत्तराखण्ड के सभी जिले कुमाऊं कमिश्नरी के अधीन थे। सन 1969 में गढवाल कमिश्नरी की स्थापना की गई जिसका मुख्यालय पौडी बनाया गया ।<br /><br /> सन 1975 में देहरादून जिले को जो मेरठ कमिश्नरी में शामिल था, गढवाल मण्डल में शामिल करने के बाद गढवाल मण्डल में जिलों की संख्या पॉच हो गयी थी। जबकि कुमाऊं मण्डल में नैनीताल , अल्मोडा , पिथौरागढ तीन जिले शामिल थे। सन 1994 में उधमसिह नगर और सन 1997 में रूद्रप्रयाग, चम्पावत व बागेश्वर जिलों का गठन होने पर उत्तराखण्ड राज्य गठन से पूर्व गढवाल और कुमांऊ मण्डलों में ६ - 6 जिले शामिल थे।<br /><span class=""></span><br />उत्तराखण्ड राज्य में हरिद्वार जनपद के सम्मिलित किये जाने पर राज्य के गठन उपरान्त गढवाल मण्डल में सात और कुमाऊं मण्डल में छः जिले शामिल हैं। दिनांक 01 जनवरी 2007 से राज्य का नाम उत्तरांचल से बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया है। राज्य का स्थापना दिवस 9 नवम्बर को मनाया जाता है।Apna-paharhttp://www.blogger.com/profile/07414805074230571725noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4818714703232360928.post-4461841581447405192009-02-20T08:18:00.000-08:002009-02-21T06:32:55.239-08:00इतिहास के पन्नों में उत्तराखंडस्कन्द पुराण में हिमालय को पॉच भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा गया है।<br />खण्डाः पत्र्च हिमालयस्य कथिताः नैपालकूमाँचंलौ। केदारोऽथ जालन्धरोऽथ रूचिर काश्मीर संज्ञोऽन्तिमः ।।<br /><br />अर्थात हिमालय क्षेत्र में नेपाल, कुर्मांचल, केदारखण्ड़ (गढवाल), जालन्धर ( हिमाचल प्रदेश ) और सुरम्य काश्मीर पॉच खण्ड है।<br />पौराणिक ग्रन्थों में कुर्मांचल क्षेत्र मानसखण्ड के नाम से प्रसिद्व था। जिनमें उत्तरीय हिमालय को सिद्ध गन्धर्व, यक्ष, किन्नर जातियों की सृष्टि और इस सृष्टि का राजा कुबेर बताया गया हैं। कुबेर की राजधानी अलकापुरी ( बद्रीनाथ से ऊपर) बताई गयी है। पुराणों के अनुसार राजा कुबेर के राज्य में ऋषि -मुनि तप व साधना किया करते थे।<br />अंग्रेज इतिहासकारों के अनुसार हुण, सकास, नाग खश आदि जातियां भी हिमालय क्षेत्र में निवास करती थी। किन्तु पौराणिक ग्रन्थों में केदार खण्ड व मानस खण्ड के नाम से इस क्षेत्र का व्यापक उल्लेख है।<br /><br />इस क्षेत्र को देव-भूमि व तपोभूमि माना गया है। मानस खण्ड का कुर्मांचल व कुमाऊं नाम चन्द राजाओं के शासन काल में प्रचलित हुआ। कुर्मांचल पर चन्द राजाओं का शासन कत्यूरियों के बाद प्रारम्भ होकर सन 1790 तक रहा। सन 1790 में नेपाल की गोरखा सेना ने कुमाऊं पर आक्रमण कर कुमाऊं राज्य को अपने अधीन कर दिया। गोरखाओं का कुमाऊं पर सन 1790 से 1815 तक शासन रहा।<br /><span class=""></span><br />सन 1815 में अंग्रजो से अन्तिम बार परास्त होने के उपरान्त गोरखा सेना नेपाल वापस चली गई। किन्तु अंग्रजों ने कुमाऊं का शासन चन्द राजाओं को न देकर कुमाऊं को ईस्ट इण्ड़िया कम्पनी के अधीन कर किया। इस प्रकार कुमाऊं पर अंग्रेजो का शासन 1815 से प्रारम्भ हुआ।<br /><br />ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार केदार खण्ड कई गढों( किले ) में विभक्त था। इन गढों के अलग राजा थे और राजाओं का अपने-अपने आधिपत्य वाले क्षेत्र पर साम्राज्य था।<br />इतिहासकारों के अनुसार पंवार वंश के राजा ने इन गढो को अपने अधीनकर एकीकृत गढवाल राज्य की स्थापना की और श्रीनगर को अपनी राजधानी बनाया। केदार खण्ड का गढवाल नाम तभी प्रचलित हुआ।<br /><span class=""></span><br />सन 1803 में नेपाल की गोरखा सेना ने गढवाल राज्य पर आक्रमण कर गढवाल राज्य को अपने अधीन कर लिया । महाराजा गढवाल ने नेपाल की गोरखा सेना के अधिपत्य से राज्य को मुक्त कराने के लिए अंग्रजो से सहायता मांगी। अंग्रेज सेना ने नेपाल की गोरखा सेना को देहरादून के समीप सन 1815 में अन्तिम रूप से परास्त कर दिया । किन्तु गढवाल के तत्कालीन महाराजा द्वारा युद्ध व्यय की निर्धारित धनराशि का भुगतान करने में असमर्थता व्यक्त करने के कारण अंग्रजो ने सम्पूर्ण गढवाल राज्य गढवाल को न सौप कर, अलकनन्दा मन्दाकिनी के पूर्व का भाग ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन में शामिल कर गढवाल के महाराजा को केवल टिहरी जिले ( वर्तमान उत्तरकाशी सहित ) का भू-भाग वापिस किया।<br /><span class=""></span><br />गढवाल के तत्कालीन महाराजा सुदर्शन शाह ने 28 दिसम्बर 1815 को टिहरी नाम के स्थान पर जो भागीरथी और भिलंगना के संगम पर छोटा सा गॉव था, अपनी राजधानी स्थापित की। कुछ वर्षों के उपरान्त उनके उत्तराधिकारी महाराजा नरेन्द्र शाह ने ओड़ाथली नामक स्थान पर नरेन्द्र नगर नाम से दूसरी राजधानी स्थापित की । सन 1815 से देहरादून व पौडी गढवाल ( वर्तमान चमोली जिलो व रूद्र प्रयाग जिले की अगस्तमुनि व ऊखीमठ विकास खण्ड सहित) अंग्रेजो के अधीन व टिहरी गढवाल महाराजा टिहरी के अधीन हुआ।<br /><br />भारतीय गणतंन्त्र में टिहरी राज्य का विलय अगस्त 1949 में हुआ और टिहरी को तत्कालीन संयुक्त प्रांत का एक जिला घोषित किया गया। भारत व चीन युद्व की पृष्ठ भूमि में सीमान्त क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से सन 1960 में तीन सीमान्त जिले उत्तरकाशी, चमोली व पिथौरागढ़ का गठन किया गया ।Apna-paharhttp://www.blogger.com/profile/07414805074230571725noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-4818714703232360928.post-40115693143026244202009-02-11T19:19:00.001-08:002009-02-12T06:50:27.772-08:00उत्तराखंड : एक परिचयउत्तराखण्ड या उत्तराखंड भारत के उत्तर में स्थित एक पहाड़ी राज्य है। २००० और २००६ के बीच यह उत्तरांचल के रूप में जाना जाता था, लेकिन जनवरी २००७ में भारी जनदबाव के बाद इसका नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया है। ९ नवंबर २००० को उत्तराखंड भारत गणराज्य के २७ वें राज्य के रूप मे अस्तित्व मे आया। राज्य का निर्माण के पीछे कई सालों आन्दोलन और कई लोगों का बलिदान काम आया।<br />उत्तराखंड की सीमाऐं उत्तर मे तिब्बत और पूर्व मे नेपाल से मिलती हैं तथा पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण मे उत्तर प्रदेश (अपने गठन से पहले यानि कि सन २००० से पहले यह उत्तर प्रदेश का एक हिस्सा था) इसके पडो़सी हैं। पारंपरिक हिंदू ग्रंथों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखंड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत मे उत्तराखंड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है।<br />देहरादून उत्तराखंड की अंतिम राजधानी होने के साथ इस क्षेत्र में सबसे बड़ा शहर है। गैरसेण नाम का एक छोटे कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है। राज्य निर्माण के लिए किए गए आंदोलनों के वक्त से आंदोलनकारियों ने गैरसेण को राज्य की राजधानी के रुप में देखा। लेकिन संसाधनों के अभाव का बहाना बनाकर राजधानी देहरादून बना दी गयी। अभी भी देहरादून अस्थायी राजधानी बनी हुई है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है।<br />राज्य में पर्यटन, हस्तशिल्प, हथकरघा और फल उत्पादन आय का मुख्य ज़रिया है। हालांकि राज्य सराकारें राज्य में बनने वाले बांधों को भी आय का मुख्य ज़रिया मानती हैं। लेकिन ये परियोजनाएं शुरू से ही विवादों में रही हैं। भागीरथी-भीलांगना नदी पर बनी टिहरी बांध परियोजना को लेकर विरोध की लंबी कहानी है। हालांकि अब ये बिजली का उत्पादन कर रही है।<br />कुल मिलाकर ये छोटा सा परिचय है, देश के एक छोटे से राज्य का। क्षेत्रफल में उत्तराखंड छोटा राज्य ज़रुर हो, लेकिन इसकी भौगोलिक स्थिति इसे काफी अहम बनाती है। चीन से सटी हैं, इस राज्य की सीमाएं। सामरिक दृष्टि से अहम राज्य। इसके पहाड़ों से निकले पानी से देश की नदियां कल-कल बहती हैं। यानि पानी का स्रोत है, ये राज्य। पर्यटन का एक ऐसा विस्तृत क्षेत्र अभी भी इस राज्य में अनदेखा बचा है, जिसे दुनिया के सामने बेहतर तरीके से पेश किया जा सकता है। बहुत कुछ है करने के लिए। देखें भविष्य इसे और यहां रहने वाले लोगों को कहां ले जाता है।Apna-paharhttp://www.blogger.com/profile/07414805074230571725noreply@blogger.com1