पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ जल है, जिससे पृथ्वी का 70 प्रतिशत् भाग ढका है। कुल जल की मात्रा का 97.3 प्रतिशत (135 करोड़ घन किमी0) सागर और महासागर के रूप में तथा 2.7 प्रतिशत (2.8 करोड़ घन किमी0) बर्फ से ढका है। इसके अतिरिक्त 7.7 घन किमी0 जल भूमिगत है।
पर्वतीय क्षेत्रों में भूगर्भ स्थिति के अनुसार, पर्वतों से भू-जल स्रोत बहते हैं। ऐसे स्रोत मौसमी या लगातार बहने वाले होते हैं। ऐसे ही स्रोतों में से एक झील है।
झील : एक जलाशय है जो भूमि से घिरा तथा विशालाकार होता है ।
नैनीताल : यह पृथ्वी की सतह के खिसकने से बने दोष के कारण बनी झील है। इसके किनारे बने नैना देवी के मंदिर के कारण इस झील का नाम नैनीताल पड़ा।
सूखाताल : यह नैनीताल के पास बनी झील है, जिसमें काफी मात्रा में अवसाद भरा है, तथा इसमें केवल वर्षा के मौसम में ही पानी एकत्र होता है।
भीमताल : कुमाऊँ क्षेत्र की यह दूसरी बड़ी झील है।
खुर्पाताल : यह नैनीताल शहर के पास चट्टान खिसकने से बने गड्ढे में बनी झील है।
नौकुचियाताल : यह कुमाऊँ क्षेत्र में एक छोटी झील है।
सड़ियाताल : यह भी नैनीताल क्षेत्र में एक छोटी झील है।
रुपकुंड : यह गढ़वाल के चमोली जिले के उत्तर-पूर्वी भाग में बनी एक प्रदुषण रहित बड़ी झील है।
बदानी ताल झील : यह झील पृथ्वी की सतह में श्रेणी-बद्ध दोष के कारण बनी है। यह गढ़वाल में मयाली के पास ऊपरी लक्ष्तर गाड नदी की घाटी के ढालों के बीच स्थित है।
देवरी ताल : यह झील गढ़वाल के चमोली जिले में चोप्ता के पास हिमखण्ड के खिसकने से बनी है।
डोडीताल : यह झील गढ़वाल में उत्तरकाशी के पास स्थित है।
गोहनाताल : यह गढ़वाल के चमोली जिले में अलकनन्दा नदी की एक सहायक नदी में 1970 में आयी बड़ी बाढ़ के कारण भूस्खंलन से बनी है।
हेमकुण्ड लोकपाल : यह गढ़वाल के चमोली जिले में पानी के स्रोत से बनी शुद्ध पानी की झील है।
कागभुसण्ड ताल : यह गढ़वाल के उत्तर-पूर्वी चमोली जिले में कंकुल खाल चोटी के ढाल से निकली प्रदुषण-रहित झील है।
नन्दीकुण्ड : यह गढ़वाल की चौखम्भा चोटी के दक्षिणी ढाल पर बनी झील है जो जाड़ों में जम जाती है।
शास्त्रुताल : यह गढ़वाल में घनसाली क्षेत्र के ऊपर खतलिंग हिमखण्ड के पास एक झीलों का समूह है।
वसूकी ताल : यह गढ़वाल में मंदाकिनी नदी के स्रोत के पास चोर बामक हिमखण्ड के पूर्व में स्थित एक छोटी झील है।